Monday, November 19, 2018

भैरव स्तुति।।

।।भैरव स्तुति।।
बटु बहू गुणकारी, पार्श्वनाथ प्रसेवी।
भव भय मद हारी, शक्ति सौभाग्यकारी।। (1)
नृप नर हितकारी, भव्य आनंदकारी।
जयति जयति भैरू, भक्त ससिद्धिदायी।। (2)
कर कलित कपाल, कुंडली दंड पाणी।
स्तरुण तिमिर नील, व्याल यज्ञोपविति।। (3)
ऋतु समय सपर्या, विघ्न बिच्छेद हेतु।
जयति जयति बटुकनाथ, सिद्धि द साथकानां।। (4)

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