Monday, November 19, 2018

श्री नाकोड़ा भैरव पूजन विधि

रविवार को भैरूजी की पूजा एवं भक्ति रखी जाती है।एक पाटले पर लाल वस्त्र बिछाकर भैरूजी के सामने रखना।उस आसन पर भैरूजी की तस्वीर की स्थापना करना।
तेल, सिन्दूर, धुप, दीप, नैवैध तथा फल पांच प्रकार की पूजा करना। फूल का हार पहनाना तथा पूजा के बाद आरती और क्षमापना मंत्र बोलना चाहिए।पाठ रविवार को ही होता है, जबकि भैरवमंत्र की रोज़ 3 माला फेरनी चाहिए।
ॐ ह्रीं श्री नाकोड़ा पार्श्व भैरवाय नमः, ॐ ह्रीं श्री नाकोड़ा भैरवाय नमः।
पाठ करने की विधि
1. सबसे पहले 3 नवकार मंत्र कहना, फिर पाठ शुरू करना।
2. रविवार को घर में काले कपड़े कोई ना पहने।
3. पाठ चालु करें जब त्याग की भावना, सरल स्वभाव, श्रद्धा और विश्वास होना ज़रूरी है।
4. रविवार को एकासणा, ब्यासणा, आयम्बिल या उपवास करना चाहिए। अगर शक्ति ना हो या अजैन हो तो ठन्डे पानी का एकासणा कर सकते हैं, लेकिन कंधमूल व रात्रि भोजन का त्याग करना होगा।
5. पाठ पूरा होने के बाद क्षमापना मंत्र बोलना बहुत ज़रूरी है।
6. पाठ सिर्फ रविवार को ही होता है।जबकि पारस इकतीसा, भैरव चालीसा रोज़ पढना चाहिए।

।।भैरव स्तुति।।
बटु बहू गुणकारी, पार्श्वनाथ प्रसेवी।
भव भय मद हारी, शक्ति सौभाग्यकारी।। (1)
नृप नर हितकारी, भव्य आनंदकारी।
जयति जयति भैरू, भक्त ससिद्धिदायी।। (2)
कर कलित कपाल, कुंडली दंड पाणी।
स्तरुण तिमिर नील, व्याल यज्ञोपविति।। (3)
ऋतु समय सपर्या, विघ्न बिच्छेद हेतु।
जयति जयति बटुकनाथ, सिद्धि द साथकानां।। (4)

1) तेल सिन्दूर पूजा

अंग विलेपन करू सदा, तेल सिन्दूर सिणगार,
पुष्पदार कंठे ठवी आभ्या तर उदगार।
सिन्दूर रंग समासदा, लागो असली रंग,
युद्ध भुमिरे आंगणे जीतो जाते जंग।

समरे नर नारी सदा, निर्धनीया धनवान,
धनवर पारणा बांधिया, निररोगी करे जान।

तेल सिन्दूर संपुटधारी, करी विलेपन आज,
करजो भैरव देवता, आनन्द अवचल पाज।

मंत्र- ॐ ह्रीं श्री मंगल सुखद वर दायक सदानन्द रूप, शासन प्रभावक श्री नाकोड़ा भैरवाय तेल सिन्दूर यजामहे स्वाहा
(तेल सिन्दूर से पूजा करें)


2) धुप पूजा

सकल सुखद मंगल करण, रक्षक क्षेत्र सुजान,
रिद्धि सिद्धि दाता सदा भैरवनाथ महान।

जब जब तीरथ उपरे, वार हुआ कई बार,
तब भैरव रक्षा करी, भक्तन ली संभार ।।

हाथ खडग डमरू हुए, डमरो रणकार,
भैरू भाखर गुंजियो, आलमसारी वार ।।

प्रेम धरी अन्तर भरी, वरी सुखद अभिराम,
नाकोड़ा भैरू तणी, पूजन धूप उदाम ।।

मंत्र:- ॐ ह्रीं श्री मंगल सुखद वरदायक सदानन्द रूप शासन प्रभावक श्री नाकोड़ा भैरवाय धुपं यजामहे स्वाहा।
(धुप से पूजा करना)




 3) दीपक पूजा

चौसठ जोगणी साथ में, बावन वीर विधान,
सज हूँ ओ रक्षा करण, मेटण गर्व गुमान।

अजमेरी यो बादशाह, सदी सातमी आय,
आलमसा भड भागियो, भैरू किनी सहाय।।

इण तीरथरा उपरे जब जब हुआ वार,
तब तब भैरू देवता भड़ भंजन भजनार ।।

आवो भैरू देवता प्रेम भक्त पूजन्त,
प्रेम संगती सदा बने, आशीष देवो अनन्त ।।

मंत्र :- ॐ ह्रीं श्री मंगल सुखद वर दायक सदानन्द रुप शासन प्रभावक श्री नाकोड़ा भैरवाय दीपं यजामहे स्वाहा ।
(दीये से पूजा करना)


4) नैवेध पूजा

पंचम काल आ युग, तु भैरव रखवाल,
भक्त सदा तव चरण में, श्रद्धा अर्पण माल।।

त्रिशूल खडग खप्पर धर, डमरु डिम डिमकार,
इण भाखर पर आवियों, काम सिद्ध श्रीकार ।।

दूर दूर देशान्तरे, फैली परिमल वास,
आते भक्त सदा बने, सुखद सुरीलो वास ।।

भैरव है भड़ भंजनो, रंजन करण स्वभाव,
नैवेध थी पूजा करूँ, अन्तर अमिख सुभाव ।।

मंत्र :- ॐ ह्रीं श्री मंगल सुखद वर दायक सदानन्द रूप शासन प्रभावक श्री नाकोड़ा भैरवाय नैवेध यजामहे स्वाहा ।
( नैवेध से पूजा करना)


5) फल पूजा

जिन शासन सोहामणो, पारसनाथ दरबार,
मालोणी रे आंगणे, तीरथ बन्यो उद्दार ।।

मेवो परचो पामीयो, गीयो बाबीसी दौड़,
एक एक रे आगले, लगी भक्तन की होड़ ।।

मेवानगर से थापियो, भक्त भजे दिन रात,
अन्तकरण भैरू वस्यो, ध्यावे सब ही जात ।।

मफत संपुट फल लही, पूजा करूँ धर हेत,
जो समर भैरू सदा, कार्य सिद्ध कर देत ।।

मंत्र :- ॐ ह्रीं श्री मंगल सुखद वर दायक सदानन्द रूप शासन प्रभावक श्री नाकोड़ा भैरवाय फलं यजामहे स्वाहा।
( श्रीफल चढ़ाना )


 फिर नाकोड़ा जी की आरती करके यथाशक्ति चालीसा अष्टक चमत्कारी स्तुति आदि का पाठ करना

भैरव स्तुति।।

।।भैरव स्तुति।।
बटु बहू गुणकारी, पार्श्वनाथ प्रसेवी।
भव भय मद हारी, शक्ति सौभाग्यकारी।। (1)
नृप नर हितकारी, भव्य आनंदकारी।
जयति जयति भैरू, भक्त ससिद्धिदायी।। (2)
कर कलित कपाल, कुंडली दंड पाणी।
स्तरुण तिमिर नील, व्याल यज्ञोपविति।। (3)
ऋतु समय सपर्या, विघ्न बिच्छेद हेतु।
जयति जयति बटुकनाथ, सिद्धि द साथकानां।। (4)

Sunday, November 11, 2018

भैरव सर्व फलप्रद स्तोत्र



ॐ भं भैरवाय अनिष्ट निवारणाय स्वाहा।

मम सर्वे ग्रहा: अनिष्ट निवारणाय स्वाहा।

ज्ञानं देहि , धनं देहि, मम दारिद्र्य दुखं निवारणाय स्वाहा।

सुतं देहि , यशं देहि, मम गृह क्लेशं निवारणाय स्वाहा।

स्वास्थ्य देहि , बलं देहि, मम शत्रु निवारणाय स्वाहा।

सिद्धं देहि, जयं देहि, मम सर्वे ऋण : निवारणाय स्वाहा ।

ॐ भं भैरवाय अनिष्ट निवारणाय स्वाहा।

Friday, November 9, 2018

श्री संकट मोचन नाकोडा भैरव अष्टक


नाकोड़ा काला भैरव महान चमत्कारी इच्छा पूर्ण मंत्र

ऊँ नमो श्री नाकोडा काल भैरवाय नमः , सर्वजन मोहिनार,
सर्व कार्यकरणार, सर्वविकट संकट हरणार, सर्वचिंता चूरणार,
सर्वमनोदय पूरण करणार, सर्व आधि व्याधि उपाधि उपसर्ग
ग्रह दोष नाषनम् करणार, मम् गृहे मम् कुटुम्बे, ऋद्धि
सिद्धि
लक्ष्मी शुभसौभाग्य, आणंद मंगल कुरुं कुरुं हरीम स्वाहा
ऊँ हीँ श्रीँ महा भैरवाय नमो नमः
ऊँ हीँ श्रीँ काल भैरवाय नमो नमः

श्री नाकोडा भैरव मंत्र


ऊँ हीँ क्लाम् क्लीम् क्लुम् खाम खीम
खुम स्वाहा कुरुं कुरुं आपदा उद्वारणाय ,
स्वर्ण आकर्षणाय, श्री नाकोडा भैरवाय
मम् दरिद्रम् निर्मूल करणाय,
लोकेष्वराय, साँणदाय
ऊँ महा भैरवाय नमो नमः

नाकोडा़ जी स्तवन

आज रविवार है , भैरव तेरा वार है
सच्चे  मन से जो कोई ध्यावे, उसका बेडा पार है
......आज रविवार है
मेवानगर का राजा तू तो , डुंगरिया का वासी
डुंगरिया का रक्षक बनकर,बैठा मस्त दीवाना
.......आज रविवार है.
मस्तक मुकुट कानो मैं कुंडल, गले मोतियाँ की माला
जग मग जग मग अंगिया सोहे, मुखड़ा पूनम चंदा हो
........आज रविवार है.
धुप दीप से पूजा तेरी, मनोहारी सी लगती है..
पुष्प सुगंदिथ चंपा चमेली,अर्पित चरनन करते है
........आज रविवार है.
मन की तम्मना पूरी करता, भक्तो का रखवाला रे
चिंता चूरन आशा पूरण, कर्तन भेरव नाथ रे
........आज रविवार है.
मेवा नगर के वासी हो, तुम इन्द्र पूरी मैं विराजे हो
दूर दूर से आते आते दर्शन कर हर्षाते हो
........आज रविवार है.
करता सेवक अरज चरण मैं, आशा पूरण कर्जो जी
नाकोडा दरबार की विंनती , भक्तो की लाज रखना जी
........आज रविवार है.

श्री भैरव प्रार्थना


आवोजी आवो भैरवनाथ, ओ नाकोडा वाले  |
तुम हो डूंगरीया वाले, तुम हो घूँघरीया वाले ||
मस्तक मुकुट सोहे, कानो मैं कुंडल सोहे |
गले मोतियन को हार, ओह नाकोडा वाले  || 1 ||
हाथे खड्गधारी, डमरू की शोभा न्यारी |
चोसठ योगिनी साथ, ओ नाकोडा वाले  || 2 ||
अष्ट बुझ को धारी, शत्रु को दो सम्हारी |
मेरे तो तुम्ही एक नाथ, ओ नाकोडा वाले ||  3  ||
तीर्थ नाकोडा सोहे, भव्य जीवो को मोहे |
दीपे भैरव मनोहर, ओ नाकोडा वाले ||  4  ||
आवोजी आवो, भैरव दरस दिखाओ |
दुःखडा मिटाओ मेरा, नाथ ओ नाकोडा वाले ||5 ||
ध्यान तुम्हारा धरु, काज हमारो सारो |
श्री संघ के सर पर तेरा हाथ, ओ नाकोडा वाले ||
6 ||
चिंता जी चुरो ने आशा जी पूरो,
नव निधि करो मेरे नाथ,ओ नाकोडा वाले ||  7  ||
नाकोडा तीर्थ की महिमा भारी, लीला भैरव की न्यारी |
............... सेवक अरज करत है चरणों की सेवा प्यारी
लगे ओ नाकोडा वाले
आवोजी आवो भैरव नाथ, ओ नाकोडा वाले ||  8  ||
।।श्री नाकोड़ा भैरव आरती ।।
ॐ जय जय जयकारा, वारी जय जय झंकारा,
आरति उतारो भविजन मिलकर, भैरव रखवाला,
वारी जीवन रखवाला ॐ जय जय जयकारा ।।1।।
तुं समकित सुरनर मन मोहक, मंगल नितकारा, वारी मं.,
श्री नाकोडा भैरव सुंदर, जन मन हरनारा,
ॐ जय जय जयकारा ।।2।।
खडग त्रिशुल धर खप्पर सोहे, डमरु कर धारा, वारी ड.,
अद्भूत रुप अनोखी रचना, मुकुट कुंडल सारा,
ॐ जय जय जयकारा ।।3।।
ॐ ह्रीँ क्षाँ क्षः मंत्रबीज युत, नाम जपे ताहरा, वारी ना.,
रिद्धि सिद्धि अरु सम्पद मनोहर, जीवन सुखकारा,
ॐ जय जय जयकारा ।।4।।
कुशल कर तेरा नाम लिया नित, आनन्द करनारा, वारी आ.,
रोग शोक दुःख दारिद्र हरता, वांछित दातारा,
ॐ जय जय जयकारा ।।5।।
श्रीफल लापसी मातर सुखडी, लड्डु तेलधारा वारी ल.,
धुप दीप फूल माल आरति, नित नये रविवारा,
ॐ जय जय जयकारा ।।6।।
वैयावच्च करता संघ तेरी, ध्यान अडग धारा, वारी ध्या.,
‘हिंमत’ ‘हित’ से चित में धरता, ‘भव्यानंद’ प्यारा,
ॐ जय जय जयकारा ।।7।।
दो हजारके शुभ संवत्सर, पोष मास रसाला, वारी पो.,
श्री संघ मिलकर करे आरति, मंगल शिव माला,
ॐ जय जय जयकारा ।।8।।

श्री नाकोडा भैरव चालीसा प्रत्यक्ष प्रभावी संकट मोचक श्री नाकोडा भैरव चालीसा




नाकोडा भैरव सुखकारी,
गुण गाये ये दुनिया सारी ॥१॥

भैरव की महिमा अति भारी,
भैरव नाम जपे नर – नारी ॥२॥

जिनवर के हैं आज्ञाकारी,
श्रद्धा रखते समकित धारी ॥३॥

प्रातः उठ जो भैरव ध्याता,
ऋद्धि सिद्धि सब संपत्ति पाता ॥४॥

भैरव नाम जपे जो कोई,
उस घर में निज मंगल होई ॥५॥

नाकोडा लाखों नर आवे,
श्रद्धा से परसाद चढावे ॥६॥

भैरव – भैरव आन पुकारे,
भक्तों के सब कष्ट निवारे ॥७॥

भैरव दर्शन शक्ति – शाली,
दर से कोई न जावे खाली ॥८॥

जो नर नित उठ तुमको ध्यावे,
भूत पास आने नहीं पावे ॥९॥

डाकण छूमंतर हो जावे,
दुष्ट देव आडे नहीं आवे ॥१०॥

मारवाड की दिव्य मणि हैं,
हम सब के तो आप धणी हैं ॥११॥

कल्पतरु है परतिख भैरव,
इच्छित देता सबको भैरव ॥१२॥

आधि व्याधि सब दोष मिटावे,
सुमिरत भैरव शान्ति पावे ॥१३॥

बाहर परदेशे जावे नर,
नाम मंत्र भैरव का लेकर ॥१४॥

चोघडिया दूषण मिट जावे,
काल राहु सब नाठा जावे ॥१५॥

परदेशा में नाम कमावे,
धन बोरा में भरकर लावे ॥१६॥

तन में साता मन में साता,
जो भैरव को नित्य मनाता ॥१७॥

मोटा डूंगर रा रहवासी,
अर्ज सुणन्ता दौड्या आसी ॥१८॥

जो नर भक्ति से गुण गासी,
पावें नव रत्नों की राशि ॥१९॥

श्रद्धा से जो शीष झुकावे,
भैरव अमृत रस बरसावे ॥२०॥

मिल जुल सब नर फेरे माला,
दौड्या आवे बादल – काला ॥२१॥

वर्षा री झडिया बरसावे,
धरती माँ री प्यास बुझावे ॥२२॥

अन्न – संपदा भर भर पावे,
चारों ओर सुकाल बनावे ॥२३॥

भैरव है सच्चा रखवाला,
दुश्मन मित्र बनाने वाला ॥२४॥

देश – देश में भैरव गाजे,
खूटँ – खूटँ में डंका बाजे ॥२५॥

हो नहीं अपना जिनके कोई,
भैरव सहायक उनके होई ॥२६॥

नाभि केन्द्र से तुम्हें बुलावे,
भैरव झट – पट दौडे आवे ॥२७॥

भूख्या नर की भूख मिटावे,
प्यासे नर को नीर पिलावे ॥२८॥

इधर – उधर अब नहीं भटकना,
भैरव के नित पाँव पकडना ॥२९॥

इच्छित संपदा आप मिलेगी,
सुख की कलियाँ नित्य खिलेंगी ॥३०॥

भैरव गण खरतर के देवा,
सेवा से पाते नर मेवा ॥३१॥

कीर्तिरत्न की आज्ञा पाते,
हुक्म – हाजिरी सदा बजाते ॥३२॥

ऊँ ह्रीं भैरव बं बं भैरव,
कष्ट निवारक भोला भैरव ॥३३॥

नैन मूँद धुन रात लगावे,
सपने में वो दर्शन पावे ॥३४॥

प्रश्नों के उत्तर झट मिलते,
रस्ते के संकट सब मिटते ॥३५॥

नाकोडा भैरव नित ध्यावो,
संकट मेटो मंगल पावो ॥३६॥

भैरव जपन्ता मालम – माला,
बुझ जाती दुःखों की ज्वाला ॥३७॥

नित उठे जो चालीसा गावे,
धन सुत से घर स्वर्ग बनावे ॥३८॥

॥ दोहा ॥
भैरु चालीसा पढे, मन में श्रद्धा धार ।
कष्ट कटे महिमा बढे, संपदा होत अपार ॥
३९॥
जिन कान्ति गुरुराज के,शिष्य मणिप्रभ राय ।
भैरव के सानिध्य में,ये चालीसा गाय ॥ ४०॥
॥ श्री भैरवाय शरणम् ॥