दोहा- विघ्न हरण मंगल करण, भैरव रविवार आज!
रिद्धि सिद्धि सहित पधारजो, पूरण करजो काज!!
ॐ जय जय श्री भैरव मंगलकारी, ॐ जय जय श्री भैरव सुखकारी!
निरंकार है ज्योति तुम्हारी, तिहूं लोक फैली उजियारी!
मस्तक मुकुट कानन कुंडल सोहै, गले मोतियन का हार मन मोहे!
रूप भैरव का अधिक सुहावे, दर्शन करके मन अति सुख पावे!
कर में खड़ग त्रिशूल विराजे, जाको देख काल डर भागे!
कर में खप्पर डमरु सोहे, दादा के दर्शन से मन अति मोहे!
नाकोड़ा नगर में तुम्हीं विराजत, तिहूं लोक में डंका बाजत!
रविवार रहे चढ़ाओ,भारी दरबार में बोली लागे प्यारी!
आरती की बोली ₹5 मण, तन मन श्रद्धा से बोले भवीजन!
भैरव सच्चे भक्तों को ही बुलावे, भावीजन से आरती उतरावे!
आरती के दर्शन है अति भारी, दादा ने सुख की दृष्टि डारी!
दुष्ट को मारने वाला दादा, सेवक जन तारण भैरव दादा!
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी, तुम्हें सदा पूजे नर नारी!
तुम संसार शक्ति लय कीना, पालन हेतु अन्न धन दीना!
सेवक का दुख टालने वाला, सेवक को खुश करने वाला!
प्रलय काल सब नाशन हारी, तुम हो सेवक के हितकारी!
ऋषि मुनि तुम्हारे गुण गावे, सेवक जन तुम्हें नित दिन ध्यावे!
रूप भैरव देव का तुम धारा, दे सुबुद्धि सेवक जन उबारा!
रक्षा करी दुख का विनाश किया, जन-जन को भैरव ने सुख दिया!
धनवान रूप धरा जग माही, भैरव खुशियां जीवन के माही!
चमचम मनभावन आंगी सजे, भैरव दादा के दर्शन से मन तजे!
खार खूट तुम्हीं की महिमा गाजे, सुंदर मंदिर ढोल नगाड़े बाजे!
रविवार महिमा अति है भारी, भैरव दर्शन की शोभा है न्यारी!
डूंगरिया में भैरव अवतार, भैरव महिमा निशदिन अपार!
दादा की कीर्ति छाए अपरंपार, जले जग मैं ज्योत सवाई रविवार!
रविवार मेला की है अधिकाई, बाजे ढोल नगाड़ा शहनाई!
पौष मास दशमी का रसाला, नाकोड़ा भैरव की भारी लीला!
रूप आपका अति मनभावन, सेवक को दे भैरव नया जीवन!
श्री संघ के सिर पर तेरा हाथ, सेवक को देता है भैरव साथ!
संध्या भजन की महिमा है सुंदर, गाते भजन भावीजन मिलकर!
तीरथ नाकोड़ा भारी सोहै, भैरव के दरबार में मन मोहे!
भैरव दरबार में अति खुशियां, दादा के दर्शन से मन हर्षाया!
नाकोड़ा तीर्थ की महिमा भारी, भैरव की जय जय गाए नर नारी!
शत्रु नाश कीजे भैरव दादा,नितदिन ध्याउ तुम्हें दादा!
कृपा करो हे श्री भैरव दयाला, रिद्धि सिद्धि दे कर दे निहाला!
भैरव तेरा दया फल में पाऊं, भेरू महिमा जीवन भर गाऊं!
श्रद्धा भक्ति से जो जय जय गावे, वो जन्म जन्म नया जीवन पावे!
श्री भैरव दादा जीवन तार, भक्तों पर है दादा का प्यार!
भैरव महिमा गाउं बारंबार, भैरव दादा करेगा निहार!
श्री भैरव की शरण में शंकर जाय, भैरव चरणों में शीश झुकाए!
रिद्धि सिद्धि सहित पधारजो, पूरण करजो काज!!
ॐ जय जय श्री भैरव मंगलकारी, ॐ जय जय श्री भैरव सुखकारी!
निरंकार है ज्योति तुम्हारी, तिहूं लोक फैली उजियारी!
मस्तक मुकुट कानन कुंडल सोहै, गले मोतियन का हार मन मोहे!
रूप भैरव का अधिक सुहावे, दर्शन करके मन अति सुख पावे!
कर में खड़ग त्रिशूल विराजे, जाको देख काल डर भागे!
कर में खप्पर डमरु सोहे, दादा के दर्शन से मन अति मोहे!
नाकोड़ा नगर में तुम्हीं विराजत, तिहूं लोक में डंका बाजत!
रविवार रहे चढ़ाओ,भारी दरबार में बोली लागे प्यारी!
आरती की बोली ₹5 मण, तन मन श्रद्धा से बोले भवीजन!
भैरव सच्चे भक्तों को ही बुलावे, भावीजन से आरती उतरावे!
आरती के दर्शन है अति भारी, दादा ने सुख की दृष्टि डारी!
दुष्ट को मारने वाला दादा, सेवक जन तारण भैरव दादा!
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी, तुम्हें सदा पूजे नर नारी!
तुम संसार शक्ति लय कीना, पालन हेतु अन्न धन दीना!
सेवक का दुख टालने वाला, सेवक को खुश करने वाला!
प्रलय काल सब नाशन हारी, तुम हो सेवक के हितकारी!
ऋषि मुनि तुम्हारे गुण गावे, सेवक जन तुम्हें नित दिन ध्यावे!
रूप भैरव देव का तुम धारा, दे सुबुद्धि सेवक जन उबारा!
रक्षा करी दुख का विनाश किया, जन-जन को भैरव ने सुख दिया!
धनवान रूप धरा जग माही, भैरव खुशियां जीवन के माही!
चमचम मनभावन आंगी सजे, भैरव दादा के दर्शन से मन तजे!
खार खूट तुम्हीं की महिमा गाजे, सुंदर मंदिर ढोल नगाड़े बाजे!
रविवार महिमा अति है भारी, भैरव दर्शन की शोभा है न्यारी!
डूंगरिया में भैरव अवतार, भैरव महिमा निशदिन अपार!
दादा की कीर्ति छाए अपरंपार, जले जग मैं ज्योत सवाई रविवार!
रविवार मेला की है अधिकाई, बाजे ढोल नगाड़ा शहनाई!
पौष मास दशमी का रसाला, नाकोड़ा भैरव की भारी लीला!
रूप आपका अति मनभावन, सेवक को दे भैरव नया जीवन!
श्री संघ के सिर पर तेरा हाथ, सेवक को देता है भैरव साथ!
संध्या भजन की महिमा है सुंदर, गाते भजन भावीजन मिलकर!
तीरथ नाकोड़ा भारी सोहै, भैरव के दरबार में मन मोहे!
भैरव दरबार में अति खुशियां, दादा के दर्शन से मन हर्षाया!
नाकोड़ा तीर्थ की महिमा भारी, भैरव की जय जय गाए नर नारी!
शत्रु नाश कीजे भैरव दादा,नितदिन ध्याउ तुम्हें दादा!
कृपा करो हे श्री भैरव दयाला, रिद्धि सिद्धि दे कर दे निहाला!
भैरव तेरा दया फल में पाऊं, भेरू महिमा जीवन भर गाऊं!
श्रद्धा भक्ति से जो जय जय गावे, वो जन्म जन्म नया जीवन पावे!
श्री भैरव दादा जीवन तार, भक्तों पर है दादा का प्यार!
भैरव महिमा गाउं बारंबार, भैरव दादा करेगा निहार!
श्री भैरव की शरण में शंकर जाय, भैरव चरणों में शीश झुकाए!
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